शिवना प्रकाशन की पांच नयी पुस्‍तकों के बारे में जानिये जिनके लेखक हैं डॉ. सुधा ओम ढींगरा, मोनिका हठीला, मेजर संजय चतुर्वेदी, दीपक चौरसिया मशाल और सीमा गुप्‍ता

ये हैं शिवना प्रकाशन की पांच नयी पुस्‍तकें

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धूप से रूठी चाँदनी
ISBN: 978-81-909734-3-4
डॉ. सुधा ओम ढींगरा
101, गाईमन कोर्ट, मोरोस्विल
नार्थ कैरोलाईना-27560, यू.एस. ए.
फोन: (919)678-9056, (919)801-0672
मूल्य  : 300 रुपये (20$) प्रथम संस्करण : 2010
आवरण तथा इनले डिजाइन श्री विजेंद्र एस विज

प्रकाशक : शिवना प्रकाशन
पी.सी. लैब, सम्राट कॉम्प्लैक्स बेसमेंट
बस स्टैंड, सीहोर -466001(म.प्र.) भारत
दूरभाष : 09977855399

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एक खुशबू टहलती रही (काव्य संग्रह)
ISBN: 978-81-909734-2-7
मोनिका हठीला (भोजक)
द्वारा श्री प्रशांत भोजक, मकान नं. बी-164
आर.टी.ओ. रीलोकेशन साइट, भुज, कच्छ (गुजरात ), संपर्क: 09825851121
मूल्य : 250 रुपये, प्रथम संस्करण : 2010

आवरण श्री पंकज बेंगाणी

प्रकाशक : शिवना प्रकाशन
पी.सी. लैब, सम्राट कॉम्प्लैक्स बेसमेंट, बस स्टैंड, सीहोर -466001
(म.प्र.) संपर्क 09977855399

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चाँद पर चाँदनी नहीं होती... (ग़ज़ल संग्रह)
ISBN: 978-81-909734-4-1
मेजर संजय चतुर्वेदी
17 वीं बटालियन ब्रिगेड ऑफ दि गार्ड्स
द्वारा  56 ए. पी .ओ.
आवरण श्री विजेंद्र एस विज

मूल्य : 250 रुपये
प्रथम संस्करण : 2010
प्रकाशक : शिवना प्रकाशन
पी.सी. लैब, सम्राट कॉम्प्लैक्स बेसमेंट
बस स्टैंड, सीहोर -466001(म.प्र.)

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विरह के रंग (काव्य संग्रह)
ISBN: 978-81-909734-1-0
सीमा गुप्ता
मेफील्ड गार्डन, 126, ब्लाक- जे
सेक्टर-51, गुड़गाँव, 122001-हरियाणा
मोबाइल 9891795318
मूल्य : 250 रुपये, प्रथम संस्करण : 2010
आवरण सोनू ठाकुर सनी गोस्‍वामी

प्रकाशक : शिवना प्रकाशन
पी.सी. लैब, सम्राट कॉम्प्लैक्स बेसमेंट ,

बस स्टैंड, सीहोर -466001(म.प्र.)
संपर्क 9977855399

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अनुभूतियाँ (काव्य संग्रह)
ISBN: 978-81-909734-0-3
दीपक चौरसिया 'मशाल'

आवरण सोनू ठाकुर
मूल्य : 250 रुपये
प्रथम संस्करण : 2010
प्रकाशक : शिवना प्रकाशन
पी.सी. लैब, सम्राट कॉम्प्लैक्स बेसमेंट
बस स्टैंड, सीहोर -466001(म.प्र.)

शिवना प्रकाशन तथा मप्र उर्दू अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में सुकवि मोहन राय स्मृति अखिल भारतीय मुशायरे का आयोजन, नई पुस्तकों का विमोचन संपन्‍न ।

अग्रणी साहित्य प्रकाशन संस्था शिवना प्रकाशन तथा मप्र उर्दू अकादमी के संयुक्त तत्वावधान  में सुकवि मोहन राय की स्मृति में अखिल भारतीय मुशायरे का आयोजन किया गया । कार्यक्रम  में शिवना प्रकाशन की नई पुस्तकों मोनिका हठीला की एक खुशबू टहलती रही, सीमा गुप्ता की विरह के रंग, मेजर संजय चतुर्वेदी की चाँद पर चाँदनी नहीं होती तथा डॉ. सुधा ओम ढींगरा की पुस्तक धूप से रूठी चाँदनी का विमोचन किया गया साथ ही डॉ आजम को सुकवि मोहन राय स्मृति पुरस्कार प्रदान किया गया । 
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स्थानीय कुइया गार्डन में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि विधायक श्री रमेश सक्सेना, सुकवि स्व. मोहन राय की धर्मपत्नी श्रीमती शशिकला राय सहित पद्मश्री बशीर बद्र, पद्मश्री बेकल उत्साही, डॉ. राहत इन्दौरी तथा मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की सचिव नुसरत मेहदी सहित सभी शायरों ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा सुकवि स्व. मोहन राय के चित्र पर पुष्पाँजलि तथा दीप प्रावलित करके किया  ।

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सभी अतिथियों का स्वागत  संयोजक श्री राजकुमार गुप्ता द्वारा तथा  आयोजन प्रमुख श्री पुरुषोत्तम कुइया ने किया ।

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शिवना प्रकाशन की नई पुस्तकों का विमोचन सभी अतिथियों द्वारा किया गया ।

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विमोचन के पश्चात तीनों उपस्थित लेखकों मोनिका हठीला, सीमा गुप्ता तथा संजय चतुर्वेदी का शिवना प्रकाशन तथा भोजक परिवार भुज द्वारा शाल श्रीफल तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया ।

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सुकवि स्व. मोहन राय स्मृति पुरस्कार की घोषणा तथा पुरस्कृत होने वाले कवि डॉ. आजम का संक्षिप्त परिचय चयन समिति की अध्यक्ष तथा स्थानीय महाविद्यालय में हिंदी की प्रोफेसर डॉ. श्रीमती पुष्पा दुबे द्वारा दिया गया।

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पंडित शैलेष तिवारी के स्वस्ति वाचन के बीच अतिथियों द्वारा डॉ. आाम को मंगल तिलक कर, शाल श्रीफल, सम्मान पत्र तथा स्मृति चिन्ह भेंटकर सुकवि स्व. मोहन राय स्मृति पुरस्कार  प्रदान किया गया। 

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मुख्य अतिथि विधायक श्री रमेश सक्सेना जी ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि धन्य हैं शिवना के साथी गण जो कि अपने साथी की स्मृति में इतना भव्य आयोजन कर रहे हैं । श्री सक्सेना ने शिवना प्रकाशन के आयोजन की भूरि भूरि प्रशंसा की ।

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पद्मश्री डॉ. बशीर बद्र ने कहा कि सीहोर आना हमेशा से ही मेरे लिये आकर्षण का विषय रहता है क्योंकि यहां पर मुझे बहुत प्यार मिलता है ।

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नुसरत मेहदी ने अपने संबोधन में कहा कि शिवना प्रकाशन के साथियों ने सीहोर में जो भव्य आयोजन रचा है वैसा कम ही देखने को मिलता है । शिवना प्रकाशन ने सीहोर में आज इतिहास रच दिया है ।

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कार्यक्र्रम के सूत्रधार द्वय रमेश हठीला तथा पंकज सुबीर ने सभी अतिथियों को शिवना प्रकाशन की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान किये गये

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साथ ही  कार्यक्रम संचालक श्री प्रदीप एस चौहान को सभी विशिष्ट अतिथियों द्वारा प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया ।

कार्यक्रम के द्वितीय चरण में अखिल भारतीय मुशायरे  का आयोजन किया गया

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शायरों का स्वागत बैज, पुष्पमाला तथा स्मृति चिन्ह प्रदान कर  श्री सोनू ठाकुर, विक्की कौशल, सनी गौस्वामी, सुधीर मालवीय, नवेद खान, प्रवीण विश्वकर्मा, प्रकाश अर्श, वीनस केसरी, अंकित सफर, रविकांत पांडे आदि ने किया । 

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पद्मश्री बेकल उत्साही,  डॉ. राहत इन्दौरी,  नुसरत मेहदी, शकील जमाली,  खुरशीद हैदर,  अख्तर ग्वालियरी,  शाकिर रजा,  सिकन्दर हयात गड़बड़, अतहर सिरोंजी,  सुलेमान मजाा,  जिया राना, सुश्री राना जेबा,  फारुक अंजुम,  काजी मलिक नवेद, ताजुद्दीन ताज,  मोनिका हठीला,  मेजर संजय चतुर्वेदी,  सीमा गुप्ता,  डॉ. आाम जैसे शायरों की रचनाओं का कुइया गार्डन में उपस्थित श्रोता रात तीन बजे तक आनंद लेते रहे । डॉ. राहत इन्दौरी, बेकल उत्साही, खुर्शीद हैदर जैसे शायरों की गजलों का श्रोताओं ने खूब आनंद लिया । 

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श्रोताओं से खचाखच भरे मैदान पर देर रात तक काव्य रस की वर्षा होती रही । श्रोताओं ने अपने मनपसंद शायरों से खूब फरमाइश कर करके गजलें सुनीं । कार्यक्रम संचालन   प्रदीप एस चौहान  ने किया  अंत में आभार शिवना प्रकाशन के पंकज सुबीर ने किया ।

और अमेरिका में भी हुआ पुस्‍तक का विमोचन

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प्रतिष्ठित पत्रकार, कवयित्री, कहानीकार, उपन्यासकार डॉ. सुधा ओम ढींगरा का नया काव्य संग्रह '' धूप से रूठी चांदनी '' ( शिवना प्रकाशन ) का विमोचन समारोह अमेरिका और भारत में एक साथ हुआ. अमेरिका में हिन्दू भवन (मौरिसविल, नॉर्थ कैरोलाईना) के सांस्कृतिक भवन के भव्य प्रांगण में हिंदी विकास मंडल और अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति की नॉर्थ कैरोलाईना शाखा के तत्वावधान  में बहुत धूमधाम से संपन्न हुआ. हिंदी विकास मंडल के संरक्षक श्री गंगाधर शर्मा जी ने ज्योति प्रज्जवलित कर कार्यक्रम को आरंभ किया. ६०० से अधिक श्रोतागणों के सम्मुख स्थानीय कवयित्री बिंदु सिंह ने डॉ. सुधा ओम ढींगरा के रचना संसार की झलक लोगों को दी और हिंदी के प्रति उनकी निष्ठां और कार्यों का चित्रात्मक वर्णन किया. उनके काव्य संग्रह '' धूप से रूठी चांदनी '' की कविताओं से श्रोताओं का परिचय करवाया और स्टेज पर श्रीमती सरोज शर्मा (अध्यक्ष हिंदी विकास मंडल ), अफ़रोज़ ताज(प्रोफेसर यू.एन.सी चैपल हिल ), कवि आश कर्ण अटल, कवि महेन्द्र अजनबी और कवि अरुण जैमिनी जी को पुस्तक के विमोचन के लिया बुलाया और आप सब ने ''धूप से रूठी चांदनी'' का विधिवत विमोचन किया. नई नवेली दुल्हन का घूँघट हटाया गया. तीनों कवियों को समृति चिन्ह प्रदान किया गया और उसके बाद फिर शुरू हुआ कवि सम्मलेन. आश कर्ण अटल, महेन्द्र अजनबी और अरुण जैमिनी जी ने हास्य और व्यंग्य के तीरों से श्रोताओं का तीन घंटे खूब मंनोरंजन किया.श्रोतागण उठने को तैयार नहीं थे, पर धन्यवाद और बधाइयों के साथ समरोह का समापन हुआ.

सेना की नौकरी करते हुए भी ग़ज़ल की नाजुक विधा को साधते हैं मेजर संजय चतुर्वेदी (पीपुलस समाचार पत्र से साभार)


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दिनाँक आठ मई को शिवना प्रकाशन तथा उर्दू अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय कुइया गार्डन में होने वाले अखिल भारतीय मुशायरे में जिन पुस्तकों का विमोचन होना है उनमें एक पुस्तक भारतीय सेना में मेजर के रूप में पदस्थ ग़ज़लकार संजय चतुर्वेदी की है । पहली बार में सुनने में बड़ा अजीब लगता है कि सेना की शुष्क नौकरी में रह कर ग़ज़ल जैसी नाजुक और नफासत भरी विधा को साधना, और वो भी सफलता के साथ । लेकिन सच यही है कि मेजर संजय न केवल ग़ज़लकार हैं बल्कि अच्छे और स्थापित ग़ज़लकार हैं ।
2001 में प्रशिक्षण के लिये संजय चतुर्वेदी का सेना में चयन हुआ और 2002 में रजत पदक के साथ उनको लैफ्टिनैंट के पद नियुक्ति मिली । आपरेशन पराक्रम के दौरान देश की पश्चिमी सीमा पर उनको सक्रिय तैनाती मिली । साथ ही सर्वश्रेष्ठ अधिकारी का अवार्ड भी प्राप्त हुआ । उनकी विशिष्ट उपलब्धियों के चलते भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में उनको अनुदेशक के पद पर प्रशिक्षण देने हेतु नियुक्त किया गया । वर्तमान में वे राजस्थान में तैनात हैं । यदि मेजर संजय का परिचय इतना ही होता तो कोई नई बात नहीं थी क्योंकि हर सैन्य अधिकारी का परिचय लगभग ऐसा ही होता है । लेकिन जो बात उनको विशिष्ट बनाती है वो है उनका साहित्य प्रेम । शिवना प्रकाशन सीहोर से उनका एक ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित होकर आ रहा है  जिसका नाम है चाँद पर चाँदनी नहीं होती । संग्रह की भूमिका में देश के शीर्ष शायर पद्मश्री श्री बेकल उत्साही लिखते हैं कि संजय ने दुष्यंत की डगर पर चलते हुए नये आयामों को निखार देने का कार्य किया है । तथा हिन्दी ग़ज़लके सफर को नये तजरुबे तथा नयी पहचान देने की कोशिश की है । वहीं मप्र उर्दू अकादमी की सचिव तथा सुप्रसिध्द शायरा नुसरत मेहदी लिखती हैं कि मेजर संजय की दृष्टि पैनी है तथा भाषा सहज एवं सरल है । उनमें आधुनिक विचारधारा और धरती के धरातल पर कदम जमाकर ग़ज़ल कहने का साहस मौजूद है । दिग्गज साहित्यकारों द्वारा कही गई ये बातें इस बात सिध्द करती हैं कि सेना के शुष्क माहौल में रहकर भी संजय चतुर्वेदी ने अपने अंदर की नमी को सूखने नहीं दिया है । वे स्वयं भी कहते हैं कि सेना के कठोर नियमों के प्रभाव तथा अति व्यस्त दिनचर्या के बीच रचनाधर्मिता को जारी रखना इतना आसान नहीं था, लेकिन उसी कठिन माहौल ने अपनी क्षमता से बढ़कर प्रदर्शन करना भी सिखाया और ग़ज़लगोई जिंदा रही ।  दिल जला, फसलें जलीं, छप्पर जला, सिर्फ चूल्हा छोड़ सारा घर जला, या फिर सर्द मौसम, गर्मियाँ सावन सड़क पर देखिये, मौत बच्चे शादियाँ बचपन सड़क पर देखिये, या फिर उसने काँटा मुझे चुभोया है, दर्द होने पे खुद भी रोया है जैसे संवेदना से भरे हुए शेर मेजर संजय को विशिष्ट बना देते हैं । इसी सब के चलते उनको उत्तराखण्ड का दिगंतराज साहित्य सम्मान प्रदान किया गया । मेजर संजय चतुर्वेदी दिनाँक आठ मई को स्थानीय कुइया गार्डन में होने वाले अखिल भारतीय मुशायरे में शिरकत भी करेंगें और अपनी ग़ज़लों का पाठ भी करेंगे, सीहोर के श्रोताओं के लिये ये एक नया ही अनुभव होगा किसी सैन्य अधिकारी को शायर के रूप में सुनने का । सुनना नये दौर की ग़ज़लें जिन्हें बेकल उत्साही जी ने कहा है दुष्यंत कर परंपरा की ग़ज़लें- लोग पढ़ते हैं कसीदे शान में जाने ऐसा क्या है उस मुस्कान में, मैंने खुद को आदमी उस दिन कहा, राम जब मुझको दिखे कुरआन में ।

साभार पीपुल्‍स समाचार पत्र से