शिवना प्रकाशन से पुस्‍तकें प्रकाशन करवाने की प्रक्रिया

शिवना प्रकाशन से पुस्‍तकें प्रकाशन करवाने के लिये कई रचनाकारों द्वारा लगातार संपर्क किया जा रहा है उस हेतु ये जानकारी दी जा रही है ।
शिवना द्वारा उच्‍च गुणवत्‍ता के आधार पर पुस्‍तकों का प्रकाशन किया जाता है । प्रकाशन की प्रक्रिया में पुस्‍तक की कम्‍पोजि़ग, डिज़ायनिंग, आवरण आदि शामिल होता है । साथ ही पुस्‍तक के प्रकाशन के पश्‍चात उसके विमोचन, प्रचार आदि पर भी प्रकाशन द्वारा कार्य किया जाता है । प्रकाशन द्वारा लगभग 100 से भी अधिक समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, इंटरनेट पत्रिकाओं में पुस्‍तक की समीक्षा प्रकाशित करवाई जाती है । पुस्‍तक की समीक्षा विशेषज्ञों द्वारा लिखवाई जाती है । जिसे प्रकाशन के लिये भेजा जाता है । देश भर की सभी प्रमुख पत्र, पत्रिकाओं में शिवना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्‍तकों की समीक्षा प्रमुखता के साथ प्रकाशित की जाती है । साथ ही विभिन्‍न पुरस्‍कारों के लिये भी प्रकाशन द्वारा अपने स्‍तर पर पुस्‍तकें भेजी जाती हैं । पुस्‍तक का प्रकाशन उच्‍च गुणवत्‍ता के काग़ज़ पर किया जाता है । प्रकाशन के दौरान प्रूफ की बारीकी से जांच की जाती है तथा शुद्धता का पूरा ध्‍यान रखा जाता है । आवरण का डिजायन विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया जाता है । शिवना प्रकाशन को अपना ISBN नंबर मिला हुआ है । सभी पुस्‍तकों पर प्रकाशन का नंबर प्रकाशित किया जाता है । पुस्‍तक की गुणवत्‍ता का पूरा ध्‍यान रखा जाता है जिसके कारण भारत ही नहीं भारत के बाहर के भी लेखकों ने शिवना प्रकाशन से अपनी पुस्‍तक का प्रकाशन करवाया है । 
प्रकाशन द्वारा सीधे पुस्‍तक प्रकाशन की प्रक्रिया -
सर्वप्रथम लेखक को अपनी पुस्‍तक की पांडुलिपि प्रकाशन के लिये भेजनी होती है । यूनिकोड फांट में कम्‍पोज़ की हुई पांडुलिपि ईमेल द्वारा साफ्ट कॉपी के रूप में shivna.prakashan@gmail.com पर भेजनी होती है । जिसे प्रकाशन के विशेषज्ञों का दल देखता है तथा गुणवत्‍ता के आधार पर प्रकाशन हेतु स्‍वीकृति प्रदान करता है । प्रकाशन के पश्‍चात लेखक को 3 प्रतियां प्रकाशन की ओर से दी जाती हैं। इससे अधिक पुस्‍तकें यदि लेखक को चाहिये तो उसे खरीदनी होती हैं। यह  खरीद प्रिंट मूल्‍य पर ही करनी होती है उसमें कोई डिस्‍काउंट की व्‍यवस्‍था नहीं है ।   
सहकारिता के आधार पर पुस्‍तक प्रकाशन की प्रक्रिया -
इसके अलावा  शिवना प्रकाशन से सहकारिता के आधार पर भी पुस्‍तकों का प्रकाशन किया जाता है ।  सहकारिता के आधार पर प्रकाशित होने वाली पुस्‍तकों में लेखक को एक निश्चित संख्‍या में पुस्‍तकें खरीदनी होती हैं ।

3 comments:

अभिन्न said...

bahut hi badhiya pryas hai saheb aapka,matri bhasha ki is se badh kar kya seva ho sakti hai..aapko koti koti naman...aapka aashirwad mila to avshy sewa labh lemge.dhnyvaad

अभिन्न said...

bahut hi sarthak pryaas hai aapka saheb matri bhasha ki is se badh kar aur kya sewa ho sakti hai..aapka ashirwad mila to avshy labh ke patr honge. dhnyavaad

रविकर said...

आदरणीय-
सादर प्रणाम |
मैं धनबाद में हूँ -


आपकी कृपा एवं स्नेह का आकांक्षी हूँ-

कृपया मार्गदर्शन करने का कष्ट करें -
मैंने एक खंड काव्य की रचना की है-

श्री राम की सहोदरी : भगवती शांता
एक खंड काव्य -
लिंक है यहाँ -
http://terahsatrah.blogspot.in/
भगवान् राम की सगी बहन की पूरी कथा -

२५०० कुंडलियों की भी रचना की है-


रविकर -
D.C.Gupta
STA, Department of Electronics Engg.
Indian School of Mines
Dhanbad
M: +918521396185


कुंडली
रविकर नीमर नीमटर, वन्दे हनुमत नाँह ।
विषद विषय पर थामती, कलम वापुरी बाँह ।
कलम वापुरी बाँह, राह दिखलाओ स्वामी ।
बहन शांता श्रेष्ठ, मगर हे अन्तर्यामी ।
नहीं काव्य दृष्टांत, उपेक्षित त्रेता द्वापर ।
रचवायें शुभ-काव्य, क्षमा मांगे अघ-रविकर ।
नीमटर=किसी विद्या को कम जानने वाला
नीमर=कमजोर


मत्तगयन्द सवैया

संभव संतति संभृत संप्रिय, शंभु-सती सकती सतसंगा ।
संभव वर्षण कर्षण कर्षक, होय अकाल पढ़ो मन-चंगा ।
पूर्ण कथा कर कोंछन डार, कुटुम्बन फूल फले सत-रंगा ।
स्नेह समर्पित खीर करो, कुल कष्ट हरे बहिना हर अंगा ।।
जय जय भगवती शांता परम